युग ऋषि के संदेश
May 16, 2022 Leave a comment
जहाँ गायत्री रूपी प्रकाश जाता है वहाँ से दुर्विचार और दुर्भावना रूपी अन्धकार अपना स्थान छोड़ देता है ।
जब अन्तःकरण पवित्र हो जाता है, मन पर चढ़े हुए सभी मल विक्षेप कट जाते हैं, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, निन्दा, बेईमानी, काम, क्रोध, लोभ, अहंकार की अनाधिकार चेष्टाओं से रहित हो जाता है सत्य, प्रेम, न्याय, दया, ईमानदारी संयम, सहानुभूति आदि गुणों का विकास हो जाता है, तभी भगवान् दर्शन देते हैं ।।
પ્રતિભાવો