समग्र स्वास्थ्य संवर्धन कैसे हो ? |
मसाला वाटिका से घरेलू उपचार |
1 |
स्वास्थ्य क्या है |
1 |
|
2 |
स्वास्थ्य गँवा बैठने में कोई समझदारी नहीं |
2 |
राई |
3 |
स्वास्थ्य रक्षा की छोटी किन्तु महत्त्वपूर्ण बातें |
3 |
हल्दी |
4 |
मानसिक संतुलन इस प्रकार सही हो |
4 |
अदरक |
5 |
समग्र स्वास्थ्य का शुभारम्भ आत्मनिर्माण से |
5 |
सौंफ |
6 |
समर्थ प्रगतिशीलता कैसे अर्जित हो |
6 |
मेथी |
7 |
परिवार परिकर की सदस्यता |
7 |
जीरा |
8 |
स्वास्थ्य क्या है |
8 |
मिर्च |
9 |
स्वास्थ्य गँवा बैठने में कोई समझदारी नहीं |
9 |
पुदीना |
10 |
स्वास्थ्य रक्षा की छोटी किन्तु महत्त्वपूर्ण बातें |
10 |
पिप्पली |
11 |
मानसिक संतुलन इस प्रकार सही हो |
11 |
गिलोय |
12 |
समग्र स्वास्थ्य का शुभारम्भ आत्मनिर्माण से |
12 |
तुलसी |
13 |
समर्थ प्रगतिशीलता कैसे अर्जित हो |
13 |
अजवायन |
14 |
परिवार परिकर की सदस्यता |
14 |
धनिया |
घरेलू चिकित्सा |
15 |
टमाटर |
1 |
घरेलू चिकित्सा(मलेरिया) |
16 |
लहसुन |
2 |
विषम ज्वर |
17 |
ग्वारपाठा (घृतकुमारी) |
3 |
संतत ज्वर |
18 |
प्याज |
4 |
जाङे का बुखार |
19 |
आँवला |
5 |
लु लगने का बुखार |
20 |
सुहागा |
6 |
तिल्ली बड़ने पर |
21 |
हींग |
7 |
चेचक |
22 |
काला नमक |
8 |
खांसी |
23 |
लौंग |
9 |
सर्दी-जुकाम |
24 |
तेजपत्रक |
10 |
श्वांस |
25 |
दालचीनी |
11 |
हिचकी |
26 |
मसाला वाटिका से घरेलू उपचार |
12 |
गला बैट जाना और गले का दरद |
27 |
राई |
13 |
प्रमेह |
28 |
हल्दी |
14 |
शीघ्र पतन |
29 |
अदरक |
15 |
बहुमूत्र |
30 |
सौंफ |
16 |
वात्-व्याधि |
31 |
मेथी |
17 |
विषों का उपचार |
32 |
जीरा |
18 |
आग के जलने पर |
33 |
मिर्च |
19 |
आखें दुखना |
34 |
पुदीना |
20 |
कान का दर्द और बहना |
35 |
पिप्पली |
21 |
रक्त विकार |
36 |
गिलोय |
22 |
सुखी उबकाई-बमन |
37 |
तुलसी |
23 |
हैजा |
38 |
अजवायन |
24 |
अनिद्रा |
39 |
धनिया |
25 |
दस्त |
40 |
टमाटर |
26 |
बवासीर |
41 |
लहसुन |
27 |
मोटापा |
42 |
ग्वारपाठा (घृतकुमारी) |
28 |
बच्चों के रोगो की चिकित्सा |
43 |
प्याज |
29 |
घरेलू चिकित्सा(मलेरिया) |
44 |
आँवला |
30 |
विषम ज्वर |
45 |
सुहागा |
31 |
संतत ज्वर |
46 |
हींग |
32 |
जाङे का बुखार |
47 |
काला नमक |
33 |
लु लगने का बुखार |
48 |
लौंग |
34 |
तिल्ली बड़ने पर |
49 |
तेजपत्रक |
35 |
चेचक |
50 |
दालचीनी |
36 |
खांसी |
गमलों में स्वास्थ्य |
37 |
सर्दी-जुकाम |
1 |
|
38 |
श्वांस |
2 |
अडूसा (वासा) |
39 |
हिचकी |
3 |
अपामार्ग (चिरचिरा) |
40 |
गला बैट जाना और गले का दरद |
4 |
रक्तार्क (आक) |
41 |
प्रमेह |
5 |
अन्तमूल |
42 |
शीघ्र पतन |
6 |
अदरख |
43 |
बहुमूत्र |
7 |
अनार |
44 |
वात्-व्याधि |
8 |
अमरुद |
45 |
विषों का उपचार |
9 |
अमृता (गिलोय) |
46 |
आग के जलने पर |
10 |
कंटकारी |
47 |
आखें दुखना |
11 |
कासमर्द (कसौंदी) |
48 |
कान का दर्द और बहना |
12 |
गुडहल (जपा) |
49 |
रक्त विकार |
13 |
गोक्षुर (गोखरु) |
50 |
सुखी उबकाई-बमन |
14 |
घृतकुमारी |
51 |
हैजा |
15 |
तुलसी (काली/सफेद) |
52 |
अनिद्रा |
16 |
दुग्धिका (दुद्धी) |
53 |
दस्त |
17 |
नील शंखपुष्पी (विष्णुक्रान्ता) |
54 |
बवासीर |
18 |
बड़ी लोणा |
55 |
मोटापा |
19 |
भुईं आँमला |
56 |
बच्चों के रोगो की चिकित्सा |
20 |
भृंगराज (भांगरा) |
बिना औषधि के कायाकल्प |
21 |
मोगरा (मोतिया) |
1 |
पीछे की ओर लौटो |
22 |
चक्रमर्द |
2 |
उत्तम स्वास्थ्य के चार सूत्र |
23 |
जलब्राह्मी (जलनीम) |
3 |
कमजोरी और बीमारी का कारण |
24 |
पुदीना (पूतिहा) |
4 |
कलपुर्जों की सफाई |
25 |
पत्थरचूर्ण (पर्णबीज) |
5 |
शरीर शुद्धि और कायाकल्प |
26 |
विधारा (घाव पत्ता) |
6 |
पीछे की ओर लौटो |
27 |
हल्दी (हरिद्रा) |
7 |
उत्तम स्वास्थ्य के चार सूत्र |
28 |
अतिबला |
8 |
कमजोरी और बीमारी का कारण |
29 |
अडूसा (वासा) |
9 |
कलपुर्जों की सफाई |
30 |
अपामार्ग (चिरचिरा) |
10 |
शरीर शुद्धि और कायाकल्प |
31 |
रक्तार्क (आक) |
चिरयुवा का रहस्योद्गाटन |
32 |
अन्तमूल |
1 |
जीवन रस को छक कर पीते ये चिर युवा |
33 |
अदरख |
2 |
दीर्घायुष्य का रहस्य |
34 |
अनार |
3 |
आयु और स्वास्थ्य शरीर पर नहीं, मन पर निर्भर |
35 |
अमरुद |
4 |
ये भ्रान्तिपूर्ण मान्यता मिटेगी तो ही शरीर स्वस्थ होगा |
36 |
अमृता (गिलोय) |
5 |
आहार पोषक ही नहीं, शुद्ध भी हो |
37 |
कंटकारी |
6 |
आसन व्यायाम स्वस्थ व पुष्ट शरीर के लिए अत्यन्त अनिवार्य |
38 |
कासमर्द (कसौंदी) |
7 |
सूर्य सेवन से जीवनी शक्ति बढ़ाइए |
39 |
गुडहल (जपा) |
8 |
जड़ीबूटी प्रयोग उपचार की एक पूर्णतः नैसर्गिक विद्या |
40 |
गोक्षुर (गोखरु) |
9 |
जीवन रस को छक कर पीते ये चिर युवा |
41 |
घृतकुमारी |
10 |
दीर्घायुष्य का रहस्य |
42 |
तुलसी (काली/सफेद) |
11 |
आयु और स्वास्थ्य शरीर पर नहीं, मन पर निर्भर |
43 |
दुग्धिका (दुद्धी) |
12 |
ये भ्रान्तिपूर्ण मान्यता मिटेगी तो ही शरीर स्वस्थ होगा |
44 |
नील शंखपुष्पी (विष्णुक्रान्ता) |
13 |
आहार पोषक ही नहीं, शुद्ध भी हो |
45 |
बड़ी लोणा |
14 |
आसन व्यायाम स्वस्थ व पुष्ट शरीर के लिए अत्यन्त अनिवार्य |
46 |
भुईं आँमला |
15 |
सूर्य सेवन से जीवनी शक्ति बढ़ाइए |
47 |
भृंगराज (भांगरा) |
16 |
जड़ीबूटी प्रयोग उपचार की एक पूर्णतः नैसर्गिक विद्या |
48 |
मोगरा (मोतिया) |
स्वास्थ्य रक्षा प्रकृति के अनुसरण से ही संभव |
49 |
चक्रमर्द |
1 |
प्राकृतिक जीवन हर दृष्टि से निरापद |
50 |
जलब्राह्मी (जलनीम) |
2 |
आधुनिक कृत्रिम रहन-सहन अर्थात् रोगों को आमंत्रण |
51 |
पुदीना (पूतिहा) |
3 |
जीवनी शक्ति बढ़ाए, वही चिकित्सा उचित है |
52 |
पत्थरचूर्ण (पर्णबीज) |
4 |
स्वास्थ्य की कुँजी अपनी मुट्ठी में |
53 |
विधारा (घाव पत्ता) |
5 |
आहार शुद्धि भी उतनी अनिवार्य |
54 |
हल्दी (हरिद्रा) |
6 |
आरोग्य एवं चिर यौवन का रहस्योद्घाटन |
विकृत चिन्तन-रोग शोक का मूलभूत कारण |
7 |
प्रफुल्लता सुगठित स्वास्थ्य हेतु अनिवार्य आवश्यकता |
1 |
|
8 |
उपवास एक समर्थ उपचार पद्धति |
2 |
समस्त विग्रहों की जड़ अहंकार |
9 |
दीर्घायुष्य एक बहुमूल्य वरदान |
3 |
समस्त दुखों का कारण विकृत चिंतन |
10 |
स्वास्थ्य को भी महत्त्व मिले |
4 |
अपने मनोबल को बढ़ाएँ-गिराएँ नही |
11 |
प्राकृतिक जीवन हर दृष्टि से निरापद |
5 |
मस्तिष्क को स्वच्छंद न फिरने न दें |
12 |
आधुनिक कृत्रिम रहन-सहन अर्थात् रोगों को आमंत्रण |
6 |
भोगवादी चिंतन शैली को पलटना होगा |
13 |
जीवनी शक्ति बढ़ाए, वही चिकित्सा उचित है |
7 |
दूरदर्शिता का पल्ला कभी न छोड़ें |
14 |
स्वास्थ्य की कुँजी अपनी मुट्ठी में |
8 |
अपनी सहजता कभी न गँवाएँ |
15 |
आहार शुद्धि भी उतनी अनिवार्य |
9 |
छोटी बातों की भी उपेक्षा न की जाय |
16 |
आरोग्य एवं चिर यौवन का रहस्योद्घाटन |
10 |
आकांक्षाओं को विकृत न होने दे |
17 |
प्रफुल्लता सुगठित स्वास्थ्य हेतु अनिवार्य आवश्यकता |
11 |
समस्त विग्रहों की जड़ अहंकार |
18 |
उपवास एक समर्थ उपचार पद्धति |
12 |
समस्त दुखों का कारण विकृत चिंतन |
19 |
दीर्घायुष्य एक बहुमूल्य वरदान |
13 |
अपने मनोबल को बढ़ाएँ-गिराएँ नही |
20 |
स्वास्थ्य को भी महत्त्व मिले |
14 |
मस्तिष्क को स्वच्छंद न फिरने न दें |
असंयम बनाम आत्मघात |
15 |
भोगवादी चिंतन शैली को पलटना होगा |
1 |
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् |
16 |
दूरदर्शिता का पल्ला कभी न छोड़ें |
2 |
धर्म साधन में शरीर रक्षा का महत्त्व |
17 |
अपनी सहजता कभी न गँवाएँ |
3 |
आरोग्य का मूल महत्व समझें |
18 |
छोटी बातों की भी उपेक्षा न की जाय |
4 |
गम्भीर एवं महत्त्वपूर्ण समस्या |
सूर्य चिकित्सा विज्ञान |
5 |
हनुमान जी की सच्ची उपासना |
1 |
|
6 |
हम स्वास्थ्य और शक्ति की उपेक्षा न करें |
2 |
रोगों का कारण |
7 |
स्वास्थ्य सुधार के लिए धैर्य की आवश्यकता |
3 |
रोगों का निदान |
8 |
उतावली न की जाय |
4 |
सूर्य का रंग |
9 |
आरोग्य रक्षा के प्रति सतर्क रहें |
5 |
शरीर में रासायनिक पदार्थ |
10 |
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् |
6 |
नीले रंग के गुण |
11 |
धर्म साधन में शरीर रक्षा का महत्त्व |
7 |
लाल रंग के गुण |
12 |
आरोग्य का मूल महत्व समझें |
8 |
पीले रंग के गुण |
13 |
गम्भीर एवं महत्त्वपूर्ण समस्या |
9 |
मिश्रित रंग |
14 |
हनुमान जी की सच्ची उपासना |
10 |
काँच का चुनाव |
15 |
हम स्वास्थ्य और शक्ति की उपेक्षा न करें |
11 |
चिकित्सा विधि |
16 |
स्वास्थ्य सुधार के लिए धैर्य की आवश्यकता |
12 |
जानने योग्य कुछ आवश्यक बातें |
17 |
उतावली न की जाय |
13 |
भिन्न भिन्न रोगों की चिकित्सा |
18 |
आरोग्य रक्षा के प्रति सतर्क रहें |
14 |
चिरस्थाई रोग |
सात्विक जीवनचर्या और दीर्घायुष्य |
15 |
आकस्मिक रोग |
1 |
आरोग्य और दीर्घ जीवन इस तरह प्राप्त करें |
16 |
स्त्रियों के रोग |
2 |
लम्बी उम्र के तीन साधन |
17 |
सूर्य सेवन |
3 |
दीर्ध जीवन के स्वर्ण सूत्र |
18 |
सूर्य चिकित्सा विज्ञान |
4 |
सात अनुभूत महामंत्र |
19 |
रोगों का कारण |
5 |
दीर्घ जीवन के आध्यात्मिक कारण । |
20 |
रोगों का निदान |
6 |
विचारशील लोग दीर्घायु होते हैं |
21 |
सूर्य का रंग |
7 |
सतत श्रमशील रहें-दीर्घ जीवन जिएँ |
22 |
शरीर में रासायनिक पदार्थ |
8 |
दीर्घ आयु प्राप्ति का रहस्य |
23 |
नीले रंग के गुण |
9 |
सात्विक आहार विहार का उपहार-दीर्घायुः |
24 |
लाल रंग के गुण |
10 |
आरोग्य और दीर्घ जीवन इस तरह प्राप्त करें |
25 |
पीले रंग के गुण |
11 |
लम्बी उम्र के तीन साधन |
26 |
मिश्रित रंग |
12 |
दीर्ध जीवन के स्वर्ण सूत्र |
27 |
काँच का चुनाव |
13 |
सात अनुभूत महामंत्र |
28 |
चिकित्सा विधि |
14 |
दीर्घ जीवन के आध्यात्मिक कारण । |
29 |
जानने योग्य कुछ आवश्यक बातें |
15 |
विचारशील लोग दीर्घायु होते हैं |
30 |
भिन्न भिन्न रोगों की चिकित्सा |
16 |
सतत श्रमशील रहें-दीर्घ जीवन जिएँ |
31 |
चिरस्थाई रोग |
17 |
दीर्घ आयु प्राप्ति का रहस्य |
32 |
आकस्मिक रोग |
18 |
सात्विक आहार विहार का उपहार-दीर्घायुः |
33 |
स्त्रियों के रोग |
प्राणायाम से आधि-व्याधि निवारण |
34 |
सूर्य सेवन |
1 |
प्राण का स्वरूप एवं तत्त्वज्ञान |
तुलसी के चमत्कारी गुण |
2 |
प्राणशक्ति से संकल्प बल का अभिवर्धन, प्रसुप्त का जागरण |
1 |
|
3 |
प्राणायाम मनोबल वर्धक एक श्रेष्ठ उपचार पद्धति |
2 |
तुलसी की अपार महिमा |
4 |
प्राणायाम चिकित्सा से मनोविकार का उपचार |
3 |
तुलसी की रोगनाशक शक्ति |
5 |
प्राणयोग साधना के आध्यात्मिक प्रयोग |
4 |
तुलसी प्रकृति के अनुकूल औषधि है |
6 |
प्राण का स्वरूप एवं तत्त्वज्ञान |
5 |
तुलसी की कई जातियाँ |
7 |
प्राणशक्ति से संकल्प बल का अभिवर्धन, प्रसुप्त का जागरण |
6 |
सब प्रकार के ज्वर |
8 |
प्राणायाम मनोबल वर्धक एक श्रेष्ठ उपचार पद्धति |
7 |
स्त्रियों के विशेष रोग |
9 |
प्राणायाम चिकित्सा से मनोविकार का उपचार |
8 |
बच्चों के रोग |
10 |
प्राणयोग साधना के आध्यात्मिक प्रयोग |
9 |
उदर रोगों पर |
आसन और प्राणायाम |
10 |
फोड़ा, घाव और चर्म रोग |
1 |
|
11 |
मस्तिष्क और स्नायु संबंधी रोग |
2 |
आसन क्यों और कैसे |
12 |
सर्पदंश पर तुलसी का प्रयोग |
3 |
अन्य व्यायाम |
13 |
तुलसी उपासना द्वारा मानसिक चिकित्सा |
4 |
प्राणायाम की महत्ता |
14 |
तुलसी कवच |
5 |
आध्यात्मिक साधना के लिए पद्मासन |
15 |
तुलसी का प्रचार बढ़ाइए |
6 |
शवासन |
16 |
तुलसी के चमत्कारी गुण |
7 |
व्यायाम और प्राणायाम के सम्मिलित अभ्यास |
17 |
तुलसी की अपार महिमा |
8 |
प्राणायाम की कुछ विधियाँ |
18 |
तुलसी की रोगनाशक शक्ति |
9 |
प्राणायाम संबंधी अनुभव |
19 |
तुलसी प्रकृति के अनुकूल औषधि है |
10 |
आसन क्यों और कैसे |
20 |
तुलसी की कई जातियाँ |
11 |
अन्य व्यायाम |
21 |
सब प्रकार के ज्वर |
12 |
प्राणायाम की महत्ता |
22 |
स्त्रियों के विशेष रोग |
13 |
आध्यात्मिक साधना के लिए पद्मासन |
23 |
बच्चों के रोग |
14 |
शवासन |
24 |
उदर रोगों पर |
15 |
व्यायाम और प्राणायाम के सम्मिलित अभ्यास |
25 |
फोड़ा, घाव और चर्म रोग |
16 |
प्राणायाम की कुछ विधियाँ |
26 |
मस्तिष्क और स्नायु संबंधी रोग |
प्राण चिकित्सा विज्ञान |
27 |
सर्पदंश पर तुलसी का प्रयोग |
1 |
|
28 |
तुलसी उपासना द्वारा मानसिक चिकित्सा |
2 |
प्राण चिकित्सा के विशेषताएँ । |
29 |
तुलसी कवच |
3 |
प्राण चिकित्सा का इतिहास |
30 |
तुलसी का प्रचार बढ़ाइए |
4 |
प्राणाकर्षण क्रिया |
प्रायोगिक वनौषधि विज्ञान |
5 |
रोगों का निदान |
1 |
|
6 |
रोगी का उपचार |
2 |
जलनीम, मण्डूकपर्णी, ब्राह्मी |
7 |
किस रोग में क्या उपचार |
3 |
भुई आँवला, अमरुद, सर्पगंधा |
8 |
प्राण चिकित्सा के प्रमुख उपचार |
4 |
अपामार्ग, घृतकुमारी |
9 |
कुछ रोग निवारक श्वासक्रियाएँ |
5 |
सफेद मूसली, बिजौरा, काली मूसली |
10 |
मन्त्रित वस्तुओं द्वारा उपचार |
6 |
निर्गुंडी |
11 |
अपना इलाज |
7 |
बला, चांगेरी, गिलोय |
12 |
प्राण चिकित्सकों की निजी सलाह |
8 |
मौलश्री, मीठी नीम |
13 |
किसी खास रोग का उपचार |
9 |
जंगली प्याज, तुलसी-रामा-श्यामा |
14 |
मानसिक चिकित्सा |
10 |
बड़ी लूणा (दुग्धी), अश्वगंधा |
15 |
महान प्राण तत्व |
11 |
शरपुंखा, जल पीपल |
16 |
प्राण चिकित्सा के विशेषताएँ । |
12 |
बिल्व, एरण्ड |
17 |
प्राण चिकित्सा का इतिहास |
13 |
कंटकारि |
18 |
प्राणाकर्षण क्रिया |
14 |
छोटी इलायची, आँवला |
19 |
रोगों का निदान |
15 |
मुरवा, कपूर कचरी |
20 |
रोगी का उपचार |
16 |
महाबला, काशमर्द |
21 |
किस रोग में क्या उपचार |
17 |
चक्रमर्द, अमलताश |
22 |
प्राण चिकित्सा के प्रमुख उपचार |
18 |
मकोय, वृहती |
23 |
कुछ रोग निवारक श्वासक्रियाएँ |
19 |
पत्थर चूर, सुदर्शन |
24 |
मन्त्रित वस्तुओं द्वारा उपचार |
20 |
कचनार, सहदेवी |
25 |
अपना इलाज |
21 |
तेजपात, कुंदरु |
26 |
प्राण चिकित्सकों की निजी सलाह |
22 |
रक्त एरंड, रतन ज्योति-जंगली एरण्ड |
27 |
किसी खास रोग का उपचार |
23 |
चाँदनी, पितौजिया (पुत्रवंती) |
28 |
मानसिक चिकित्सा |
24 |
पीपल, कृत्रिम अशोक |
स्फूर्ति और मस्ती से भरा बुढ़ापा |
25 |
दुर्वा घास, हरड़ |
1 |
|
26 |
पीला कनेर, बैगुन, विधारा |
2 |
मनुष्य का दीर्घजीवी होना संभव |
27 |
पिप्पली, पहाड़ी पिप्पली |
3 |
मानवी विकास एवं सौभाग्य का सर्वोत्तमकाल |
28 |
थूहर, पाठा |
4 |
बूढा़ होने की तो बात ही न सोचे |
29 |
पीत वासा, काला वासा |
5 |
प्राच्य और पाश्चात्य लोगों के बुढा़पे में अंतर |
30 |
अनार, भारंगी |
6 |
सुखद बुढा़पे की पूर्व से तैयारी करें |
31 |
खदीर, करंज |
7 |
बुढा़पे की रोकथाम संभव भी और सरल भी |
32 |
हल्दी, काली हल्दी |
8 |
मानवी विकास एवं सौभाज्ञ का सर्वोत्तम काल |
33 |
बाँस (वंशलोचन), मालकांगनी |
9 |
मनुष्य का दीर्घजीवी होना संभव |
34 |
चीढ, मयुर पंख, केवकंद |
10 |
मानवी विकास एवं सौभाग्य का सर्वोत्तमकाल |
35 |
बहेड़ा, बड़ी दुग्धी |
11 |
बूढा़ होने की तो बात ही न सोचे |
36 |
जलनीम, मण्डूकपर्णी, ब्राह्मी |
12 |
प्राच्य और पाश्चात्य लोगों के बुढा़पे में अंतर |
37 |
भुई आँवला, अमरुद, सर्पगंधा |
13 |
सुखद बुढा़पे की पूर्व से तैयारी करें |
38 |
अपामार्ग, घृतकुमारी |
14 |
बुढा़पे की रोकथाम संभव भी और सरल भी |
39 |
सफेद मूसली, बिजौरा, काली मूसली |
मनोविकार सर्वनाशी शत्रु |
40 |
निर्गुंडी |
1 |
|
41 |
बला, चांगेरी, गिलोय |
2 |
निराशा का अभिशाप परिताप |
42 |
मौलश्री, मीठी नीम |
3 |
निराशा छोड़कर उठिए और आगे बढ़िए |
43 |
जंगली प्याज, तुलसी-रामा-श्यामा |
4 |
आत्मविश्वास जागृत रहे |
44 |
बड़ी लूणा (दुग्धी), अश्वगंधा |
5 |
आत्मविश्वास एक वास्तविक बल |
45 |
शरपुंखा, जल पीपल |
6 |
हमारा आत्मविश्वास जागृत हो |
46 |
बिल्व, एरण्ड |
7 |
आत्महीनता की ग्रंथि से अपने को जकड़िए मत |
47 |
कंटकारि |
8 |
आध्यात्मिक आधार ही सभी मनोरोगों का उपचार |
48 |
छोटी इलायची, आँवला |
9 |
मानसिक रोगों का प्रेमोपचार |
49 |
मुरवा, कपूर कचरी |
10 |
मानसिक अवसाद का घातक प्रमाद |
50 |
महाबला, काशमर्द |
11 |
निराशा का अभिशाप परिताप |
51 |
चक्रमर्द, अमलताश |
12 |
निराशा छोड़कर उठिए और आगे बढ़िए |
52 |
मकोय, वृहती |
13 |
आत्मविश्वास जागृत रहे |
53 |
पत्थर चूर, सुदर्शन |
14 |
आत्मविश्वास एक वास्तविक बल |
54 |
कचनार, सहदेवी |
15 |
हमारा आत्मविश्वास जागृत हो |
55 |
तेजपात, कुंदरु |
16 |
आत्महीनता की ग्रंथि से अपने को जकड़िए मत |
56 |
रक्त एरंड, रतन ज्योति-जंगली एरण्ड |
17 |
आध्यात्मिक आधार ही सभी मनोरोगों का उपचार |
57 |
चाँदनी, पितौजिया (पुत्रवंती) |
18 |
मानसिक रोगों का प्रेमोपचार |
58 |
पीपल, कृत्रिम अशोक |
स्फूर्ति और मस्ती से भरा बुढ़ापा |
59 |
दुर्वा घास, हरड़ |
1 |
|
60 |
पीला कनेर, बैगुन, विधारा |
2 |
मनुष्य का दीर्घजीवी होना संभव |
61 |
पिप्पली, पहाड़ी पिप्पली |
3 |
मानवी विकास एवं सौभाग्य का सर्वोत्तमकाल |
62 |
थूहर, पाठा |
4 |
बूढा़ होने की तो बात ही न सोचे |
63 |
पीत वासा, काला वासा |
5 |
प्राच्य और पाश्चात्य लोगों के बुढा़पे में अंतर |
64 |
अनार, भारंगी |
6 |
सुखद बुढा़पे की पूर्व से तैयारी करें |
65 |
खदीर, करंज |
7 |
बुढा़पे की रोकथाम संभव भी और सरल भी |
66 |
हल्दी, काली हल्दी |
8 |
मानवी विकास एवं सौभाज्ञ का सर्वोत्तम काल |
67 |
बाँस (वंशलोचन), मालकांगनी |
9 |
मनुष्य का दीर्घजीवी होना संभव |
68 |
चीढ, मयुर पंख, केवकंद |
10 |
मानवी विकास एवं सौभाग्य का सर्वोत्तमकाल |
पर्यावरण असंतुलन-जिम्मेदार कौन |
11 |
बूढा़ होने की तो बात ही न सोचे |
1 |
|
12 |
प्राच्य और पाश्चात्य लोगों के बुढा़पे में अंतर |
2 |
पर्यावरण प्रदूषण में एक प्राथमिक कारण : नासमझी |
13 |
सुखद बुढा़पे की पूर्व से तैयारी करें |
3 |
प्रकृति से खिलवाड़ |
14 |
बुढा़पे की रोकथाम संभव भी और सरल भी |
4 |
वैज्ञानिक प्रगति बनाम प्राकृतिक असंतुलन |
जल्दी मरने की उतावली ना करें |
5 |
अप्राकृतिक जीवन |
1 |
|
6 |
युद्ध और पर्यावरण |
2 |
शारीरिक गतिविधियाँ मनोवेगों द्वारा संचालित |
7 |
जनसंख्या और पर्यावरण |
3 |
हल्के फुल्के रहें, स्वस्थ बनें |
8 |
संस्कृति, विचार और पर्यावरण |
4 |
चिकित्सा हेतु शरीर नहीं, मन को टटोलिए |
9 |
पर्यावरण, प्रकृति और प्रदूषण |
5 |
न निराश हों, न उत्तेजित |
10 |
पर्यावरण प्रदूषण में एक प्राथमिक कारण : नासमझी |
6 |
शरीर भले ही बुढा़ हो, मन युवा बना रहे |
11 |
प्रकृति से खिलवाड़ |
7 |
तनाव हर स्थिति में हानिकारक है |
12 |
वैज्ञानिक प्रगति बनाम प्राकृतिक असंतुलन |
8 |
शारीरिक गतिविधियाँ मनोवेगों द्वारा संचालित |
13 |
अप्राकृतिक जीवन |
9 |
हल्के फुल्के रहें, स्वस्थ बनें |
14 |
युद्ध और पर्यावरण |
10 |
चिकित्सा हेतु शरीर नहीं, मन को टटोलिए |
15 |
जनसंख्या और पर्यावरण |
11 |
न निराश हों, न उत्तेजित |
16 |
संस्कृति, विचार और पर्यावरण |
12 |
शरीर भले ही बुढा़ हो, मन युवा बना रहे |
युग धर्म पर्यावरण संरक्षण |
इंद्रिय संयम का महत्व |
1 |
|
1 |
|
2 |
औद्योगीकरण की समस्या का समाधान |
2 |
प्रलोभनों से सदैव सावधान रहिए |
3 |
मृदा प्रदूषण! कैसे हो समाधान? |
3 |
वासनाओं को जीतने के लिए आध्यात्मिक चिन्तन |
4 |
पर्यावरण अनुकूलन और गाय |
4 |
आवेशों से बचना आवश्यक है |
5 |
कचरा और पर्यावरण |
5 |
मनोवृत्तियों का सदुपयोग |
6 |
ऊर्जा और पर्यावरण |
6 |
इन्द्रिय-संयम और अस्वाद व्रत |
7 |
जन संख्या वृद्धि और पर्यावरण |
7 |
इन्द्रिय-संयम और ब्रह्मचर्य व्रत |
8 |
वृक्ष-वनस्पति और पर्यावरण |
8 |
संयम और सदाचार की महिमा |
9 |
हमारे जीवन मे वनों का महत्त्व |
9 |
इन्द्रिय नियन्त्रण का मूल मन्त्र-आत्मसंयम |
10 |
जल प्रदूषण-कारण और निवारण |
10 |
प्रलोभनों से सदैव सावधान रहिए |
11 |
जीवन का पर्याय-जल |
11 |
वासनाओं को जीतने के लिए आध्यात्मिक चिन्तन |
12 |
स्वास्थ्य समस्या और पर्यावरण |
12 |
आवेशों से बचना आवश्यक है |
13 |
यज्ञ और पर्यावरण |
13 |
मनोवृत्तियों का सदुपयोग |
14 |
ध्वनि प्रदूषण और उसका समाधान |
14 |
इन्द्रिय-संयम और अस्वाद व्रत |
15 |
अध्यात्म उपचार द्वारा पर्यावरण |
15 |
इन्द्रिय-संयम और ब्रह्मचर्य व्रत |
16 |
पर्यावरण संतुलन एवं शान्तिकुञ्ज की भूमिका |
16 |
संयम और सदाचार की महिमा |
17 |
प्रदूषण का युग एवं पर्यावरण संवर्धन की अनिवार्यता |
जड़ी बूटियों द्वारा स्वास्थ्य संरक्षण |
18 |
औद्योगीकरण की समस्या का समाधान |
1 |
|
19 |
मृदा प्रदूषण! कैसे हो समाधान? |
2 |
वनौषधियों की उपादेयता वतर्मान परिप्रेक्ष्य में |
20 |
पर्यावरण अनुकूलन और गाय |
3 |
वनौषधि चिकित्सा के वैज्ञानिक आधार |
21 |
कचरा और पर्यावरण |
4 |
एकौषधि ही क्यों? |
22 |
ऊर्जा और पर्यावरण |
5 |
सूक्ष्मीकरण का विज्ञान |
23 |
जन संख्या वृद्धि और पर्यावरण |
6 |
प्रथम खण्ड की महत्त्वपूर्ण औषधियाँ |
24 |
वृक्ष-वनस्पति और पर्यावरण |
7 |
मूलहठी (ग्लिसराइजा ग्लेब्रा) |
25 |
हमारे जीवन मे वनों का महत्त्व |
8 |
आँवला (एम्बलीका आफीसिनेलिस) |
26 |
जल प्रदूषण-कारण और निवारण |
9 |
हरड़ (टमिर्नेलिया चेब्यूला) |
27 |
जीवन का पर्याय-जल |
10 |
बिल्व (इगल मामेर्लोज) |
28 |
स्वास्थ्य समस्या और पर्यावरण |
11 |
अडूसा (एढेटोडा वेसाइका) |
29 |
यज्ञ और पर्यावरण |
12 |
भारंगी (क्लरोडेण्ड्रान सेरेटम) |
30 |
ध्वनि प्रदूषण और उसका समाधान |
13 |
अर्जुन (टमिर्नेलिया अजुर्न) |
31 |
अध्यात्म उपचार द्वारा पर्यावरण |
14 |
पुननर्वा (बोअरहविया डिफ्यूजा) |
32 |
पर्यावरण संतुलन एवं शान्तिकुञ्ज की भूमिका |
15 |
ब्राह्मी (बकोपा मोनिएरा) |
शरीर रचना एवं क्रिया विज्ञान |
16 |
शंखपुष्पी (कन्वाल्व्यूलस प्लूरीकॉलिस) |
1 |
|
17 |
निगुर्ण्डी (वाइटेक्स निगुर्ण्डी) |
2 |
कोषाणु (सेल) |
18 |
सुण्ठी (जिंजिबर आफिसिनेल) |
3 |
मूलधातु |
19 |
नीम (एजाडिरेक्टा इण्डिक) |
4 |
आयुर्वेद का भौतिक-रासायनिक सिद्धांत |
20 |
सारिवा (हेमिडेसमस इण्डिकस) |
5 |
प्रमाण एवं संख्या शारीरम |
21 |
चिरायता (सुआश्शिर्या चिरायता) |
6 |
शरीर के अंग अवयव |
22 |
गिलोय (टीनोस्पोरा काडीर्फोलिया) |
7 |
रक्त |
23 |
अशोक (साराका इण्डिका) |
8 |
मांसादि धातुएँ |
24 |
गोक्षुर (ट्राकईबुलस टेरेस्टि्रस) |
9 |
पुरुष प्रजनन तंत्र |
25 |
शतावर (एस्पेरेगस रेसिमोसस) |
10 |
उपधातु एवं स्त्री प्रजनन |
26 |
अश्वगन्धा (विदेनिया सॉम्नीफेरा) |
11 |
त्रिदोष परिचय |
27 |
बीस औषधियों पर एक विहंगम दृष्टि |
12 |
श्वसन यंत्र |
28 |
समस्त रोगों की एक औषधि-तुलसी (ऑसीमम सैंक्टम) |
13 |
नाड़ी संस्थान |
29 |
परिशिष्ट-१(स्थानिय उपचार में प्रयुक्त होने वाली औषधियां) |
14 |
आहार |
30 |
परिशिष्ट-2 विभिन्न व्याधियों में अनुपान, पथ्य एवं अपथ्य |
15 |
आहार-पाचन |
31 |
जड़ीबूटी चिकित्सा-युग की महत्त्वपूणर् आवश्यकता |
16 |
ताप-शारीरिक तापक्रम |
32 |
वनौषधियों की उपादेयता वतर्मान परिप्रेक्ष्य में |
17 |
मूत्रवह संस्थान |
33 |
वनौषधि चिकित्सा के वैज्ञानिक आधार |
18 |
शरीर-परिचय |
34 |
एकौषधि ही क्यों? |
19 |
कोषाणु (सेल) |
35 |
सूक्ष्मीकरण का विज्ञान |
20 |
मूलधातु |
36 |
प्रथम खण्ड की महत्त्वपूर्ण औषधियाँ |
21 |
आयुर्वेद का भौतिक-रासायनिक सिद्धांत |
37 |
मूलहठी (ग्लिसराइजा ग्लेब्रा) |
22 |
प्रमाण एवं संख्या शारीरम |
38 |
आँवला (एम्बलीका आफीसिनेलिस) |
23 |
शरीर के अंग अवयव |
39 |
हरड़ (टमिर्नेलिया चेब्यूला) |
24 |
रक्त |
40 |
बिल्व (इगल मामेर्लोज) |
25 |
मांसादि धातुएँ |
41 |
अडूसा (एढेटोडा वेसाइका) |
26 |
पुरुष प्रजनन तंत्र |
42 |
भारंगी (क्लरोडेण्ड्रान सेरेटम) |
27 |
उपधातु एवं स्त्री प्रजनन |
43 |
अर्जुन (टमिर्नेलिया अजुर्न) |
28 |
त्रिदोष परिचय |
44 |
पुननर्वा (बोअरहविया डिफ्यूजा) |
29 |
श्वसन यंत्र |
45 |
ब्राह्मी (बकोपा मोनिएरा) |
30 |
नाड़ी संस्थान |
46 |
शंखपुष्पी (कन्वाल्व्यूलस प्लूरीकॉलिस) |
31 |
आहार |
47 |
निगुर्ण्डी (वाइटेक्स निगुर्ण्डी) |
32 |
आहार-पाचन |
48 |
सुण्ठी (जिंजिबर आफिसिनेल) |
33 |
ताप-शारीरिक तापक्रम |
49 |
नीम (एजाडिरेक्टा इण्डिक) |
34 |
मूत्रवह संस्थान |
50 |
सारिवा (हेमिडेसमस इण्डिकस) |
आध्यात्मिक चिकित्सा एक समग्र उपचार |
51 |
चिरायता (सुआश्शिर्या चिरायता) |
1 |
|
52 |
गिलोय (टीनोस्पोरा काडीर्फोलिया) |
2 |
अथर्वण विद्या की चमत्कारी क्षमता |
53 |
अशोक (साराका इण्डिका) |
3 |
सद्गुरु की कृपा से तरते हैं भवरोग |
54 |
गोक्षुर (ट्राकईबुलस टेरेस्टि्रस) |
4 |
मानवी जीवन आध्यात्मिक रहस्यों से भरा |
55 |
शतावर (एस्पेरेगस रेसिमोसस) |
5 |
आध्यात्मिक चिकित्सा का मूल है आस्तिक |
56 |
अश्वगन्धा (विदेनिया सॉम्नीफेरा) |
6 |
नैतिकता की नीति, स्वास्थ्य की उत्तम डगर |
57 |
बीस औषधियों पर एक विहंगम दृष्टि |
7 |
कर्मफल के सिद्धान्त को समझना भी अनिवार्य |
58 |
समस्त रोगों की एक औषधि-तुलसी (ऑसीमम सैंक्टम) |
8 |
चित्त के संस्कारों की चिकित्सा |
59 |
परिशिष्ट-१(स्थानिय उपचार में प्रयुक्त होने वाली औषधियां) |
9 |
पूर्वजन्म के दुष्कर्मों का परिमार्जन जरूरी |
60 |
परिशिष्ट-2 विभिन्न व्याधियों में अनुपान, पथ्य एवं अपथ्य |
10 |
प्रारब्ध का स्वरूप एवं चिकित्सा में स्थान |
स्वर योग से दिव्य ज्ञान |
11 |
इन ग्रन्थों के मंत्रों में छिपे पड़े हैं अति गोपनीय प्रयोग |
1 |
|
12 |
आध्यात्मिक तेज का प्रज्वलित पुंज होता है चिकित्सक |
2 |
स्वर संबंधी कुछ आवश्यक जानकारी |
13 |
आध्यात्मिक निदान-पंचक |
3 |
स्वर बदलना |
14 |
चिकित्सक व्यक्तित्व तप:पूत होता है |
4 |
स्वर संयम से दीर्घ जीवन |
15 |
ज्योतिर्विज्ञान की महती भूमिका |
5 |
स्वर को बदलने की सरल रीति |
16 |
तंत्र एक सम्पूर्ण विज्ञान, एक चिकित्सा पद्धति |
6 |
अग्नि निवारण कौशल |
17 |
मंत्र विद्या असम्भव को सम्भव बनाती है |
7 |
स्वर परिवर्तन के हानि-लाभ |
18 |
व्यक्तित्व की समग्र साधन हेतु चान्द्रायण तप |
8 |
मनचाही संतान उत्पन करना |
19 |
प्रत्येक कर्म बनें भगवान की प्रार्थना |
9 |
स्वर योग से रोग निवारण |
20 |
अंतर्मन की धुलाई एवं ब्राह्मी चेतना से विलय का नाम है – ध्यान |
10 |
उदर-शुद्धि के कुछ उपाय |
21 |
अति विलक्षण स्वाध्याय चिकित्सा |
11 |
अन्य शास्त्रों के कुछ अनुभूत प्रयोग |
22 |
आसन, प्राणायाम, बन्ध एवं मुद्राओं से उपचार |
12 |
तत्वज्ञान से दिव्य दृष्टि |
23 |
आध्यात्मिक चिकित्सा की प्रथम कक्षा-रेकी |
13 |
स्वर योग का रहस्य |
24 |
वातावरण की दिव्य आध्यात्मिक प्रेरणाएँ |
14 |
स्वर संबंधी कुछ आवश्यक जानकारी |
25 |
संयम है प्राण-ऊर्जा का संरक्षण, सदाचार ऊर्ध्वगमन |
15 |
स्वर बदलना |
26 |
जीवनशैली आध्यात्मिक हो |
16 |
स्वर संयम से दीर्घ जीवन |
27 |
अचेतन की चिकित्सा करने वाला एक विशिष्ट सैनिटोरियम |
17 |
स्वर को बदलने की सरल रीति |
28 |
अथर्ववेदीय चिकित्सा पद्धति के प्रणेता युगऋषि |
18 |
अग्नि निवारण कौशल |
29 |
भविष्य का सम्पूर्ण व समग्र विज्ञान : अध्यात्म |
19 |
स्वर परिवर्तन के हानि-लाभ |
30 |
पञ्चशीलों को अपनायें, आध्यात्मिक चिकित्सा की ओर कदम बढ़ायें |
20 |
मनचाही संतान उत्पन करना |
31 |
आध्यात्मिक चिकित्सा |
21 |
स्वर योग से रोग निवारण |
32 |
अथर्वण विद्या की चमत्कारी क्षमता |
22 |
उदर-शुद्धि के कुछ उपाय |
33 |
सद्गुरु की कृपा से तरते हैं भवरोग |
23 |
अन्य शास्त्रों के कुछ अनुभूत प्रयोग |
34 |
मानवी जीवन आध्यात्मिक रहस्यों से भरा |
24 |
तत्वज्ञान से दिव्य दृष्टि |
35 |
आध्यात्मिक चिकित्सा का मूल है आस्तिक |
मानसिक संतुलन |
36 |
नैतिकता की नीति, स्वास्थ्य की उत्तम डगर |
1 |
|
37 |
कर्मफल के सिद्धान्त को समझना भी अनिवार्य |
2 |
असंतुलन असफलता का मूल कारण है |
38 |
चित्त के संस्कारों की चिकित्सा |
3 |
मानसिक असंतुलन से आध्यात्मिक पतन |
39 |
पूर्वजन्म के दुष्कर्मों का परिमार्जन जरूरी |
4 |
मानसिक संतुलन और समत्व की भावना |
40 |
प्रारब्ध का स्वरूप एवं चिकित्सा में स्थान |
5 |
अति सर्वत्र वर्जयेत |
41 |
इन ग्रन्थों के मंत्रों में छिपे पड़े हैं अति गोपनीय प्रयोग |
6 |
एकांगी विकास की हानियाँ |
42 |
आध्यात्मिक तेज का प्रज्वलित पुंज होता है चिकित्सक |
7 |
जीवन में संतुलन का महत्त्व |
43 |
आध्यात्मिक निदान-पंचक |
8 |
उत्तेजना के दुष्परिणाम |
44 |
चिकित्सक व्यक्तित्व तप:पूत होता है |
9 |
संतुलित जीवन की विघातक प्रवृत्तियाँ |
45 |
ज्योतिर्विज्ञान की महती भूमिका |
10 |
क्रोध पतन की ओर धकेलता है |
46 |
तंत्र एक सम्पूर्ण विज्ञान, एक चिकित्सा पद्धति |
11 |
ईर्ष्या की आन्तरिक अग्नि |
47 |
मंत्र विद्या असम्भव को सम्भव बनाती है |
12 |
निराशा हमारी महान शत्रु है |
48 |
व्यक्तित्व की समग्र साधन हेतु चान्द्रायण तप |
13 |
चिड़चिड़ापन और रूखापन |
49 |
प्रत्येक कर्म बनें भगवान की प्रार्थना |
14 |
जीवन को सुखी बनाने का मार्ग |
50 |
अंतर्मन की धुलाई एवं ब्राह्मी चेतना से विलय का नाम है – ध्यान |
15 |
मानसिक संतुलन |
51 |
अति विलक्षण स्वाध्याय चिकित्सा |
16 |
असंतुलन असफलता का मूल कारण है |
52 |
आसन, प्राणायाम, बन्ध एवं मुद्राओं से उपचार |
17 |
मानसिक असंतुलन से आध्यात्मिक पतन |
53 |
आध्यात्मिक चिकित्सा की प्रथम कक्षा-रेकी |
18 |
मानसिक संतुलन और समत्व की भावना |
54 |
वातावरण की दिव्य आध्यात्मिक प्रेरणाएँ |
19 |
अति सर्वत्र वर्जयेत |
55 |
संयम है प्राण-ऊर्जा का संरक्षण, सदाचार ऊर्ध्वगमन |
20 |
एकांगी विकास की हानियाँ |
56 |
जीवनशैली आध्यात्मिक हो |
21 |
जीवन में संतुलन का महत्त्व |
57 |
अचेतन की चिकित्सा करने वाला एक विशिष्ट सैनिटोरियम |
22 |
उत्तेजना के दुष्परिणाम |
58 |
अथर्ववेदीय चिकित्सा पद्धति के प्रणेता युगऋषि |
23 |
संतुलित जीवन की विघातक प्रवृत्तियाँ |
59 |
भविष्य का सम्पूर्ण व समग्र विज्ञान : अध्यात्म |
24 |
क्रोध पतन की ओर धकेलता है |
60 |
पञ्चशीलों को अपनायें, आध्यात्मिक चिकित्सा की ओर कदम बढ़ायें |
25 |
ईर्ष्या की आन्तरिक अग्नि |
पंचतत्वों द्वारा-संपूर्ण रोगों का निवारण |
26 |
निराशा हमारी महान शत्रु है |
1 |
|
27 |
चिड़चिड़ापन और रूखापन |
2 |
मिट्टी का उपयोग |
28 |
जीवन को सुखी बनाने का मार्ग |
3 |
अग्नि द्वारा आरोग्य |
निरोग जीवन का राजमार्ग |
4 |
वाष्प चिकित्सा |
1 |
|
5 |
शारीरिक ताप द्वारा सेंक |
2 |
प्रकृति हमारी भूलें सुधारती है |
6 |
अग्नि उपासना |
3 |
रोग से डरने की आवश्यकता नहीं |
7 |
जल चिकित्सा |
4 |
रोगों तथा अस्वस्थता को निमन्त्रण |
8 |
वायु चिकित्सा |
5 |
स्वस्थ रहने की दिनचर्या |
9 |
आकाश-चिकित्सा |
6 |
आत्महत्या मत कीजिए |
10 |
” भावना मंत्र ” |
7 |
हास्योपचार सर्वोत्तम है |
11 |
पंचतत्वों की दैनिक साधना |
8 |
स्वास्थ्य स्वाभाविक है |
12 |
पंचतत्व चिकित्सा का समन्वय |
9 |
प्रकृति हमारी भूलें सुधारती है |
13 |
पंचतत्वों द्वारा-संपूर्ण रोगों का निवारण |
10 |
रोग से डरने की आवश्यकता नहीं |
14 |
मिट्टी का उपयोग |
11 |
रोगों तथा अस्वस्थता को निमन्त्रण |
15 |
अग्नि द्वारा आरोग्य |
12 |
स्वस्थ रहने की दिनचर्या |
16 |
वाष्प चिकित्सा |
13 |
आत्महत्या मत कीजिए |
17 |
शारीरिक ताप द्वारा सेंक |
14 |
हास्योपचार सर्वोत्तम है |
18 |
अग्नि उपासना |
पातंजलि योग का तत्वदर्शन |
19 |
जल चिकित्सा |
1 |
|
20 |
वायु चिकित्सा |
2 |
सत्य की समर्थ साधना |
21 |
आकाश-चिकित्सा |
3 |
अस्तेय का दर्शन और रहस्य |
22 |
” भावना मंत्र ” |
4 |
ब्रह्मचर्य शारीरिक ही नहीं, मानसिक भी |
23 |
पंचतत्वों की दैनिक साधना |
5 |
पूँजी को रोककर न रखें |
24 |
पंचतत्व चिकित्सा का समन्वय |
6 |
शुचिता और स्वच्छता |
क्या खाएं ? क्यों खाएं ? कैसे खाएं ? |
7 |
असन्तोष की अवांछनीय मन:स्थिति |
1 |
|
8 |
तप साधना का परम पुरुषार्थ |
2 |
भोजन का आध्यात्मिक उद्देश्य |
9 |
स्वाध्याय में प्रमाद न करें |
3 |
प्राकृतिक आहार |
10 |
ईश्वर का विश्वास और आराधना |
4 |
फलों की रोग निवारक शक्तियाँ |
11 |
सरल और सर्वोपयोगी आसन व्यायाम |
5 |
फलों के बीज पौष्टिक खाद्य |
12 |
तीन सरल प्राणायाम |
6 |
तरकारियां अधिक लीजिए |
13 |
अवांछनीयताओं का प्रतिकार-प्रत्याहार |
7 |
सलाद तैयार करें |
14 |
उत्कर्ष के लिए आवश्यक धर्म-धारणाएँ |
8 |
दुग्धाहार |
15 |
सर्वोपयोगी ध्यान धारणा |
9 |
अन्नाहार |
16 |
समाधि मात्र कौतुहल नहीं है |
10 |
महान उपकारी जल तत्व |
17 |
अहिंसा और उसकी परिधि |
11 |
रोग नाशक जल |
18 |
सत्य की समर्थ साधना |
12 |
जल के अमृतोमय गुण |
19 |
अस्तेय का दर्शन और रहस्य |
13 |
दैनिक जीवन में जल का प्रयोग |
20 |
ब्रह्मचर्य शारीरिक ही नहीं, मानसिक भी |
14 |
चमत्कारी विटामिन ; अभाव एवं प्राप्ति |
21 |
पूँजी को रोककर न रखें |
15 |
ये चीजें अधिक न खाएँ |
22 |
शुचिता और स्वच्छता |
16 |
अच्छी पाचन शक्ति का रहस्य |
23 |
असन्तोष की अवांछनीय मन:स्थिति |
17 |
आपकी खुराक क्या हो ? |
24 |
तप साधना का परम पुरुषार्थ |
18 |
जीवन रक्षक पदार्थ तथा उनका विवेक पूर्ण उपयोग |
25 |
स्वाध्याय में प्रमाद न करें |
19 |
अल्पाहार : दीर्घायु का रहस्य |
26 |
ईश्वर का विश्वास और आराधना |
20 |
भोजन के समय की मन:स्थिति |
27 |
सरल और सर्वोपयोगी आसन व्यायाम |
21 |
कुदृष्टि से सावधान रहें |
28 |
तीन सरल प्राणायाम |
22 |
शरीर के कायाकल्प का साधन-भोजन |
29 |
अवांछनीयताओं का प्रतिकार-प्रत्याहार |
23 |
भोजन का आध्यात्मिक उद्देश्य |
30 |
उत्कर्ष के लिए आवश्यक धर्म-धारणाएँ |
24 |
प्राकृतिक आहार |
31 |
सर्वोपयोगी ध्यान धारणा |
25 |
फलों की रोग निवारक शक्तियाँ |
32 |
समाधि मात्र कौतुहल नहीं है |
26 |
फलों के बीज पौष्टिक खाद्य |
प्रज्ञा अभियान का योग व्यायाम |
27 |
तरकारियां अधिक लीजिए |
1 |
|
28 |
सलाद तैयार करें |
2 |
योग व्यायाम |
29 |
दुग्धाहार |
3 |
प्रज्ञा योग व्यायाम |
30 |
अन्नाहार |
4 |
प्राणायाम |
31 |
महान उपकारी जल तत्व |
5 |
उषापान जल प्रयोग (वाटर थेरेपी) |
32 |
रोग नाशक जल |
6 |
शिवसंकल्पोपनिषद् |
33 |
जल के अमृतोमय गुण |
7 |
योग व्यायाम : दिशा और धारा |
34 |
दैनिक जीवन में जल का प्रयोग |
8 |
योग व्यायाम |
35 |
चमत्कारी विटामिन ; अभाव एवं प्राप्ति |
9 |
प्रज्ञा योग व्यायाम |
36 |
ये चीजें अधिक न खाएँ |
10 |
प्राणायाम |
37 |
अच्छी पाचन शक्ति का रहस्य |
11 |
उषापान जल प्रयोग (वाटर थेरेपी) |
38 |
आपकी खुराक क्या हो ? |
12 |
शिवसंकल्पोपनिषद् |
39 |
जीवन रक्षक पदार्थ तथा उनका विवेक पूर्ण उपयोग |
प्राणघातक व्यसन |
40 |
अल्पाहार : दीर्घायु का रहस्य |
1 |
|
41 |
भोजन के समय की मन:स्थिति |
2 |
मदिरा प्रकृति प्रतिकूल है |
42 |
कुदृष्टि से सावधान रहें |
3 |
तम्बाकू काहानिकारक प्रभाव |
ब्रह्मचर्य जीवन की अनिवार्य आवश्यकता |
4 |
बीडी, सिगरेट हुक्का पीने से हानियाँ |
1 |
|
5 |
पान से चरित्रहीनता की वृद्धि होती है |
2 |
इंद्रिय संयम की महिमा |
6 |
सभ्यता का विषः चाय |
3 |
हिन्दू धर्म की अनुपम निधि |
7 |
भाँग, गाँजा और चरस का नाशकारी कुटेव |
4 |
ब्रह्मचर्य की विश्वव्यापी महिमा |
8 |
अफीम का घातक दुर्व्यसन |
5 |
आधुनिक विद्वानों द्वारा समर्थन |
9 |
कोकेन का घातक व्यसन |
6 |
ब्रह्मचर्य के विषय में भ्रान्तियाँ:उसकी उपेक्षा |
10 |
हमारी सभ्यता का कलंक-नैतिक चरित्रहीनता |
7 |
वर्तमान शिक्षा संस्थाओं की दुर्गति |
11 |
सिनेमा विनाश या मनोरंजन? |
8 |
घरों की असंतोषजनक व्यवस्था |
12 |
अश्ललील उत्तेजक विचार |
9 |
सिनेमा की सत्यानाशी हवा |
13 |
अभक्ष पदार्थों का सेवन |
10 |
अश्लील साहित्य और चित्र आदि |
14 |
अण्डे खाना स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं |
11 |
ब्रह्मचर्य रक्षा कैसे करें |
15 |
प्राणघातक व्यसन |
12 |
ब्रह्मचर्य और स्वादेंद्रिय |
16 |
मदिरा प्रकृति प्रतिकूल है |
13 |
ब्रह्मचर्य और मनोविकार |
17 |
तम्बाकू काहानिकारक प्रभाव |
14 |
ईश्वर परायणता और आस्तिक भाव |
18 |
बीडी, सिगरेट हुक्का पीने से हानियाँ |
|
|
19 |
पान से चरित्रहीनता की वृद्धि होती है |
|
|
20 |
सभ्यता का विषः चाय |
|
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21 |
भाँग, गाँजा और चरस का नाशकारी कुटेव |
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22 |
अफीम का घातक दुर्व्यसन |
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23 |
कोकेन का घातक व्यसन |
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24 |
हमारी सभ्यता का कलंक-नैतिक चरित्रहीनता |
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25 |
सिनेमा विनाश या मनोरंजन? |
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26 |
अश्ललील उत्तेजक विचार |
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27 |
अभक्ष पदार्थों का सेवन |
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28 |
अण्डे खाना स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं |
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પ્રતિભાવો